प्रणेता:- परम श्रद्धेय गणिवर्य डॉ. राजेन्द्र विजय जी महाराज साहब
भारत की संत परंपरा में गणिवर्य डॉ. राजेन्द्र विजय जी महाराज सा. का एक विशिष्ट स्थान है। मात्र ग्यारह वर्ष की अल्प आयु में साधनामय जीवन की ओर चरण बढ़ाकर उन्होंने अपना जीवन लोक-मंगल के लिए समर्पित किया है। अपने कृतित्व से राष्ट्रीय एकता, सद्भावना एवं परोपकार की दिशा में संपूर्ण राष्ट्र को प्रेरक दिशाबोध दिया है। महाराज सा. आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वर प्रसिद्ध नाम श्री आत्मारामजी की पाट परंपरा के परमार क्षत्रियोद्धारक, कलिकाल चिंतामणि, गच्छाधिपति श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज के शिष्य हैं। उनका संपूर्ण जीवन त्याग और तपस्या से ओत-प्रोत है।
गुरुजी ने गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी, प्राकृत आदि भाषाओं के ज्ञान के साथ जिन-धर्म, दर्शन, साध्वाचार, तत्वार्थ, आगम आदि ग्रंथों का विशद अध्ययन किया है। महाराज सा. जितने प्रभावशाली वक्ता हैं, उतने ही प्रभावशाली लेखक भी हैं। ‘सुखी परिवार के सूत्र‘, ‘मंत्रविद्या के सफल प्रयोग‘, ‘गाय हर युग की कामधेनु‘ और ‘आदिवासी सभ्यता एवं संस्कृति के सूत्र‘ ग्रंथ उनके उत्कृष्ट लेखन के परिचायक हैं।
गणिवर्य डॉ. राजेन्द्र विजय जी महाराज सा. की निष्ठा अहिंसा में है। अहिंसा की महत्ता को उजागर करने के लिए उन्होंने देश के विभिन्न प्रांतों में गांव-गांव की यात्रा की है, अहिंसा पर प्रवचन दिये हैं, लेख लिखे हैं और हिंसा प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में अहिंसा की प्रस्थापना के लिए सघन उपक्रम किये हैं। गुजरात के बड़ोदरा जिले के आदिवासी अंचल के लोगों में उनके विचारों और अहिंसक कार्यक्रमों का इतना व्यापक प्रभाव पड़ा है कि लाखों लोगों ने अपनी जीवन शैली को अहिंसा के अनुरूप ढाला है। अहिंसा को लोकजीवन में प्रतिष्ठित करने और अहिंसक शक्ति को जागृत करने के उद्देश्य से ही उन्होंने सुखी परिवार अभियान की परिकल्पना प्रस्तुत की है। सुखी परिवार अभियान आज राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा, नैतिकता, सदाचार और स्वस्थ मूल्यों की स्थापना का एक अभिनव उपक्रम बनकर उभरा है।
महाराज सा. के कुशल निर्देशन में आज विशेषतः गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में सेवा, चिकित्सा, शिक्षा, जीवदया और जनकल्याण के अनेकानेक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।
अध्यक्ष: ललित गर्ग
सहज, सरल, मिलनसार व्यक्तित्व तथा प्रखर प्रतिभा के धनी ललित गर्ग ने लेखन, पत्रकारिता और समाज सेवा का एक लंबा सफर तय किया है। अनेक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में स्तंभकार, कॉलमकार, टिप्पणीकार के रूप में समसामयिक विषयों पर लिखे लेखों में उनका आकलन, पैनी दृष्टि और मौलिक सोच प्रतिबिंबित होती है।
लेखन के साथ-साथ संपादन में भी उनकी विशेष दक्षता रही है। ‘अणुव्रत पाक्षिक’ का लगभग दो दशक तक संपादन करने के साथ-साथ उन्होंने ‘तेरापंथ टाइम्स’ एवं ‘युवादृष्टि’ का संपादकीय कार्य भी लंबे समय तक बखूबी निभाया है। उनके संपादन में प्रकाशित ‘समृद्ध सुखी परिवार’ पत्रिका बहुत चर्चित रही है। इनके अलावा उन्होंने
‘श्री विजय इन्द्र टाइम्स’ मासिक, समाज दर्पण, अनुभूति, दृष्टि, निर्गुण चदरिया, आचार्य महाप्रज्ञ प्रवास समिति पत्रिका, स्वर्णिम आभा सूरज की, गाथा पुरुषार्थ की आदि पत्र-पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया है। उदय इंडिया, किसान यात्रा संदेश आदि पत्रिकाओं में बतौर अतिथि संपादक रहे हैं। विगत कई वर्षों से लोकतंत्र की बुनियाद
एवं सफर आपके साथ मासिक पत्रिकाओं के संपादकीय सलाहकार हैं। उनके द्वारा ‘शब्द की यात्रा’, ‘जीवन का कल्पवृक्ष’ और ‘शून्य से शिखर’ काफी सराही गयी हैं।
श्री गर्ग अनेक संस्थाओं से सक्रिय रूप से जुड़े रहे हैं, जिनमें अध्यक्ष-लॉयंस क्लब नई दिल्ली ऑफ अलकनंदा, मंत्री मारवाड़ी सम्मेलन दिल्ली, प्रचार-प्रसार मंत्री अणुव्रत महासमिति नई दिल्ली, कार्यालय मंत्री जैन विश्वभारती दिल्ली, प्रबंधक अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास, राष्ट्रीय संयोजक अणुव्रत लेखक मंच, मीडिया प्रभारी श्री जैन श्वेतांबर
तेरापंथी सभा दिल्ली आदि प्रमुख हैं। शिक्षा के क्षेत्र में श्री गर्ग सूर्यनगर एजुकेशनल सोसायटी (रजि.) एवं उसके द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल सूर्यनगर (गाजियाबाद) के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वर्तमान में श्री गर्ग सुखी परिवार फाउंडेशन के अध्यक्ष के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विद्या भारती
उपक्रम में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और दिल्ली से अखिल भारतीय स्तर पर विद्या भारती के विद्वत परिषद के सदस्य एवं संवाददाता प्रमुख हैं।